महिला आरक्षण बिल - 128वां संशोधन
सुरिन्द्र कुमार: महिलाओं ने सदा ही सभी समाजों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह उसके प्राधार का एक महत्वपूर्ण पहलू रही है। राज्य का हित निसंदेह ऐसे विभिन्न कार्यों समाज व राज्य के समावेशन पर निर्भर करता है जो महिलाओं के विकास में सहयोग करे। महिलाएं आज भी समाज के सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग में आती हैं।
केंद्र सरकार की ओर से कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 19 सितंबर 2023 को नए संसद भवन में संसद और विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण दिलाने वाला पहला विधेयक महिला आरक्षण बिल पेश किया। बिल को 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' नाम दिया गया। बिल के मुताबिक, आरक्षण प्रभावी होने के बाद यह 15 सालों के लिए लागू होगा। यह आरक्षण राज्यसभा या राज्यों की विधान परिषदों में लागू नहीं किया जाएगा। इसे बढ़ाने के लिए दोबारा संसद से अनुमति लेनी होगी और यह नए परिसीमन के बाद ही इसे लागू किया जाएगा।
चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने महिला आरक्षण बिल पर अपना समर्थन तो दिया, लेकिन कुछ मांगों को उठाते हुए मोदी सरकार को घेर भी लिया। बहसबाजी में लोकसभा में विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े, जबकि खिलाफ में 2 मत पड़े। बिल के विरोध में AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उनकी ही पार्टी के सांसद इम्तियाज जलील ने वोट किया। हालांकि 2024 के चुनाव में इसके लागू नहीं होने से इसकी अलोचना भी की जा रही है।
ये महिला आरक्षण बिल नहीं बल्कि 2024 के चुनाव से पहले महिला बेवकूफ बनाओ बिल है: आतिशी pic.twitter.com/lHZG3OZOKx
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) September 19, 2023
शासन एवं विकास में महिलाओं की कम भागीदारी उनकी लगातार निम्न प्रस्थिति हेतु मुख्य कारणों में एक है। चुनावी आरक्षणों से अपेक्षा की जाती है कि पिछड़े रूप में पहचाने गए समूहों का राजनैतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करे।महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में CPP चेयरपर्सन सोनिया गांधी जी का वक्तव्य pic.twitter.com/eWsQfXtEQ8
— Congress (@INCIndia) September 20, 2023
आजाद भारत में महिला आरक्षण का विकल्प पहली बार काका केलकर की अध्यक्षता में प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में नज़र आया।नयी संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू करी है।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 20, 2023
जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएँगे, तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी। भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है न…
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