जब विवेक नष्ट हो जाता है।
द ईरावती:
आकुल अंतर की आह मनुज की, इस चिंता से भरी हुई, इस तरह रहेगी मानवता, कब तक मनुष्य से ड़री हुई।
- (रश्मिरथी, रामधारी सिंह दिनकर)
Most Horrific crime.— KeerthiReddy Chandupatla (@Keerthireddybjp) April 20, 2020
2 sadhus and the vehicle driver were killed by a mob in Palghar, Maharashtra.
Sad part is police leaving the victims to their fate.
Pseudo liberal gang is trying hard to find the fault of sadhus instead of mobs#PalgharMobLynching #PalgharLobbySilence pic.twitter.com/9RQrwawiGH
हमारे हृदय में भावनाओं
का करूणापूर्ण संघर्ष होता है। मानव जीवन का रूप इस बात पर निर्भर करता है, कि वह
किस तरह से हिंसा और अहिंसा का समन्वय करता है। क्योंकि, विवेक मनुष्य का
सर्वप्रधान गुण है और यही विवेकशीलता हमें नैतिक नियमों से मर्यादित करती है।
लेकिन विवेक के नष्ट हो जाने पर लोगों पर हैवानियत का जुनून सवार हो जाता है। जो
इन दिनों हमें मॉब लिंचिग के रूप में देखने को मिल रही है।
मॉब लिंचिग ऐसी वीभत्सता जिस पर अंकुश लगाना नामुमकिन हो चुका है। हाल ही का एक मामला पालघर (महाराष्ट्र) का है। जहां तीन लोगों को भीड़ ने चोर जानकर पीट-पीटकर मार ड़ाला। मरने वालों में कल्पव्रूश गिरी (70 वर्षीय), सुशील गिरी गोसावी (35 वर्षीय) जो कि वाराणसी के ‘श्री पंच दशनम जूना अखाड़ा’ से संबधित थे, और नीलेश तल्गाड़े (कार चालक) थे। जो कि अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए कांदिविली से सिलवासा जा रहे थे लेकिन लॉकडाउन के कारण वे राष्ट्रीय राजमार्ग से छोटे, भीतरी रास्ते जा रहे थे।
मॉब लिंचिग ऐसी वीभत्सता जिस पर अंकुश लगाना नामुमकिन हो चुका है। हाल ही का एक मामला पालघर (महाराष्ट्र) का है। जहां तीन लोगों को भीड़ ने चोर जानकर पीट-पीटकर मार ड़ाला। मरने वालों में कल्पव्रूश गिरी (70 वर्षीय), सुशील गिरी गोसावी (35 वर्षीय) जो कि वाराणसी के ‘श्री पंच दशनम जूना अखाड़ा’ से संबधित थे, और नीलेश तल्गाड़े (कार चालक) थे। जो कि अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए कांदिविली से सिलवासा जा रहे थे लेकिन लॉकडाउन के कारण वे राष्ट्रीय राजमार्ग से छोटे, भीतरी रास्ते जा रहे थे।
खबरों के मुताबिक कासा पुलिस थाना (पालघर) में कुछ समय से चोरों के घूमने की अफवाह फैली हुई थी। रात को जब वे कासा से निकल रहे थे तो गांव वालों ने इन्हें रोका और फिर चोर होने के शक पर हमला कर दिया. ड्राइवर और दोनों साधुओं की मौके पर ही मौत हो गई. मौके पर पहुंची पुलिस को भी हमले का शिकार होना पड़ा। जिनमें से कुछ घायल भी हुए। आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर
लिया है।
मॉब लिंचिंग आवारा भीड़ का ऐसा मानसिक विकार है। जिसका विकास सामाजिक
दायरे मे ही हो रहा है। जिसके चलते समाज भी हल न होने वाले अंतर्विरोधों में फंस
गया है। जिसका समाधान नही किया जा सकता और इसे दूर रखना उसके सामर्थ्य से परे है। ऐसी हैवानियत देखकर गीता के उस श्लोक की स्मृति हो जाती है कि - दुष्टों का नाश, संसार की प्रगति का अवश्यक अंग है।
लेकिन क्या करें हम गांधी के देश में रहते हैं। जहां दोषियों को दंड़ित न कर, दोष को दंड़ित करने विचार पुरजोर से चलता है। जिसके लिए अपने सांस्कृतिक मूल्यों के बखान में हम 'अहिंसा परमो धर्म' का बखान तो बखूबी कर सकते है। बाबजूद इसके भारत में हिंसा आज भी ट्रैंड कर रही है।
समाज में कुरीतियों के पनपने के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन, मॉब लिंचिग को प्रभावित करने वाला मुख्य कारक नफरत की राजनीति है। यथा, उकसाने की राजनीति, लोगों को बरगलाने की राजनीति और स्वयं का बजूद स्थापित करने की राजनीति। आज इंसान पूर्णतया राजनीतिक हो चुका है। किसी को सुनने से पहले ही लोग उसको खामोश कर देना चाहते हैं। सहमति और असहमति का प्रश्न ही समाप्त हो जाता हैं। जब मतभेद, मनभेद बन जाते हैं।
The Palghar incident has been acted upon. The police has arrested all those accused who attacked the 2 sadhus, 1 driver and the police personnel, on the day of the crime itself.— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) April 19, 2020
कारण
समाज में कुरीतियों के पनपने के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन, मॉब लिंचिग को प्रभावित करने वाला मुख्य कारक नफरत की राजनीति है। यथा, उकसाने की राजनीति, लोगों को बरगलाने की राजनीति और स्वयं का बजूद स्थापित करने की राजनीति। आज इंसान पूर्णतया राजनीतिक हो चुका है। किसी को सुनने से पहले ही लोग उसको खामोश कर देना चाहते हैं। सहमति और असहमति का प्रश्न ही समाप्त हो जाता हैं। जब मतभेद, मनभेद बन जाते हैं।
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