"जब काम ना हो, तो नाम बदलकर ही इतिहास रच दो"

सांकेतिक फोटो। शपथ ग्रहण के बाद ट्रंप का पहला कदम: नाम बदलकर इतिहास रचने की कोशिश जब किसी नेता के पास जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए ठोस योजनाएं न हों, तो वह प्रतीकात्मक कदमों का सहारा लेता है। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही जो पहला कदम उठाया, वह इस धारणा को और मजबूत करता है। ट्रंप ने अपने कार्यकाल की शुरुआत उस परंपरा से की, जो राजनीति में नए आयाम जोड़ने के बजाय पुरानी बहसों को हवा देती है—नाम बदलने की राजनीति। सुरिन्द्र कुमार : राष्ट्रपति ट्रंप ने पहले हफ्ते में ही 'गल्फ ऑफ मैक्सिको' का नाम 'गुल्फ ऑफ अमेरिका' करने की मंशा जाहिर की। यह एक ऐसा कदम हो सकता है जहां वह अपने समर्थकों के बीच तो वाहवाही बटोर लें। परंतु असलियत में यह एक दिखावटी और अप्रासंगिक फैसला है। सवाल उठता है कि क्या नाम बदलने से समुद्र का पानी बदल जाएगा, या अमेरिका की अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दे हल हो जाएंगे? नाम बदलने की राजनीति: ट्रंप का पहला संदेश डोनाल्ड ट्रंप ने राजनीति में प्रतीकों की ताकत को बखूबी समझा है। शपथ के बाद उन्होंने जो पहला संदेश दिया,...