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दूरदर्शन के लिए ओल्ड़ साबित हुआ गोल्ड़।

द ईरावती : सत्यम् शिवम् सुन्दरम् This day that year !! 25 APRIL 1982 : #Doordarshan started the test run of #India 's first colour Telecast. #OnThisDay pic.twitter.com/q8fy2WKOLP — Doordarshan National (@DDNational) April 25, 2020 दूरदर्शन, जो कि भारतीय पब्लिक ब्रॉड़कास्टिंग चैनल है। जो मौजूदा वक्त में अपना वजूद ढूंढ रहा था और अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा था। लेकिन, लॉकड़ाऊन के चलते और पुराने प्रतिष्ठित धारावाहिकों जैसे, रामायण, महाभारत और श्री कृष्णा आदि, ने एक बार फिर इसकी नईंया पार लगा दी है। आज के दिन इसके रंगीन प्रसारण की शुरूआत हुई थी। आगे, दूरदर्शन की एक छोटी सी झलक।

परसाई जी का प्रथम स्मगलर।

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दैनिक हिमाचल: यह लेख हरिशंकर परसाई जी की कालजयी कृति,  1982 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत  'विकलांग श्रद्धा का दौर' से पूरा का पूरा उकेरा गया है। परसाई साहब का जिक्र आते ही उनकी सहज़ और पैनी व्यंग्य शैली का ख्याल हमारे ज़हन में आता है। जिनका व्यंग्य के बारे में मानना था – व्यंग्य अब शूद्र से क्षत्रिय मान लिया गया है। विचारणीय है कि वह शूद्र से क्षत्रिय हुआ है, ब्राह्मण नहीं, क्योंकि ब्राह्मण कीर्तन करता है।  प्रथम स्मगलर लक्ष्मण मेघनाथ की शक्ति से घायल पड़े थे। हनुमान उनकी रक्षा के लिए हिमाचल प्रदेश से संजीवनी नामक दवा लेकर लौट रहे थे कि अयोध्या के नाके पर धर लिए गए। पकड़ने वाले नाकेदार को हनुमान ने पेल दिया। राजधानी में हड़कंप मच गया कि बड़ा बलशाली स्मगलर आया हुआ है। पूरी फोर्स भी उसका मुकाबला नहीं कर पा रही। आखिर भरत और शत्रुघ्न आए। हनुमान अपने आराध्य रामचंद्र के भाईयों को देखकर दब गए। शत्रुघ्न ने कहा – इन स्मगलरों के मारे नाक में दम है। भैया , आप तो संयास लेकर बैठ गए हैं। मुझे भुगतना पड़ता है। भरत ने हनुमान से पूछा – कहां से आ रहे हो? हनुमान – हिम

किताबें शेक्सपीयर और कालिदास के कड़ी को जोड़ती हैं।

राजेश कुमार किताबों की दुनिया रंगबिरंगी है।हर रंग समेटे हुए,मुस्कुराती हुई, खिल कर खुल जाती है।बचपन हो या जिंदगी की आखिरी पड़ाव ,किताबें हमेशा से हमारे साथी रहें हैं।जब सब बोलना छोड़ देते हैं तो किताबें हमें उस दुनिया में ले जाते हैं जहां हम विचारों के साथ सैर करते हैं।एक पहेली जो पन्नों की फरफराते ही सुलझ जाती है।हकीकत और दूसरे लोकों की यात्रा करते हुए हम बढ़ते हैं।स्वप्न से ही कुछ होता है इन राहों में,पर होता है कुछ जो हमें जीने की राह को आसान बना देती है।जिसे भूख और प्यास की परवाह नही होती है।                सोचो तो कुछ देर क़िताबों बिना जिंदगी।हम तो बदरंग ही हो जाते है।पन्नों का पलटना जैसे सदियों से रूबरू करा रहा हो।हम खो से जाते हैं।हम बातें करने लगते हैं।शायद वो है जो मेरी बात तो नही सुन रहा है लेकिन हम चलती हुई जिंदगी में खुद ही सफर करने लगते हैं।          किताबें शेक्सपीयर और कालिदास के कड़ी को जोड़ते है।वो कड़ी जिसे सीमाओं ने रोक दिया है।वो कहानियां हमारे घरों में चहलकदमी करती हुई आती है।वह हमारी और हम उसके हो जाते हैं।         कविताओं ने फूल सी खुशबू फैला दी है।इस घनघोर अंध

एक अनोखी पहल

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देशव्यापी लॉकड़ाऊन 2.0 के चलते बंद चले स्कूलों के कारण प्राथमिक पाठशाला लुड़ेरा के बच्चों को अपने घर में पढ़ाते हुए सुशांत। द ईरावती : पूरी दुनिया कोविड़-19 महामारी की चपेट में आ चुकी है। सभी देश इस महामारी से बचने और नियंत्रण हेतु हर संभव कोशिश कर रहे हैं। संपूर्ण भारत में प्रधानसेवक जी नें संपूर्ण 'लॉकड़ाउन' 2.0 लागू किया। जो कि अत्यंत जरूरी भी था। आज की तारीख तक भारत में कोविड़-19 के पॉजिटिव सक्रिय मामलों की संख्या भारत सरकार के स्वास्थय और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 15,474 तक पहुंच चुके हैं। इस संकट की घड़ी में देश का हर नागरिक बेहतरीन तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। डॉक्टर और पुलिस की जितनी तारीफ की जाए वो कम है। इसी कवायद में देश का एक जिम्मेदार नागरिक होने की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए बकाणी पंचायत के लुड़ेरा गांव के सुशांत ने राजकीय प्राथमिक पाठशाला लड़ेरा के बच्चों को लॉकड़ाऊन के कारण बंद चल रहे स्कूलों के कारण अपने ही घर में पढ़ाने की अनोखी पहल है। उनके इस अदभुत् काम के लिए हर कहीं से तारीफ मिल रही है। सुशांत के बारे में अगर बात की जाए

जब विवेक नष्ट हो जाता है।

द ईरावती : आकुल अंतर की आह मनुज की, इस चिंता से भरी हुई, इस तरह रहेगी मानवता, कब तक मनुष्य से ड़री हुई।  - (रश्मिरथी, रामधारी सिंह दिनकर) Most Horrific crime. 2 sadhus and the vehicle driver were killed by a mob in Palghar, Maharashtra. Sad part is police leaving the victims to their fate. Pseudo liberal gang is trying hard to find the fault of sadhus instead of mobs #PalgharMobLynching #PalgharLobbySilence pic.twitter.com/9RQrwawiGH — KeerthiReddy Chandupatla (@Keerthireddybjp) April 20, 2020 हमारे हृदय में भावनाओं का करूणापूर्ण संघर्ष होता है। मानव जीवन का रूप इस बात पर निर्भर करता है, कि वह किस तरह से हिंसा और अहिंसा का समन्वय करता है। क्योंकि, विवेक मनुष्य का सर्वप्रधान गुण है और यही विवेकशीलता हमें नैतिक नियमों से मर्यादित करती है। लेकिन विवेक के नष्ट हो जाने पर लोगों पर हैवानियत का जुनून सवार हो जाता है। जो इन दिनों हमें मॉब लिंचिग के रूप में देखने को मिल रही है। मॉब लिंचिग ऐसी वीभत्सता जिस पर अंकुश लगाना नामुमकिन   हो चुका है। हाल ही का