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हरियाणा का हॉगवर्ट्स और जादुई ग्रेस मार्क्स का कमाल

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  सुरिन्द्र कुमार - एक देश की कल्पना करें जहां परीक्षाएं प्राचीन देवताओं से भी अधिक पूजनीय हैं और उच्च अंक प्राप्त करना लगभग एक राष्ट्रीय खेल है। यहां एक शानदार कहानी सामने आती है। देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा के परिणाम घोषित किए जाते हैं, ठीक उसी समय जब देश चुनावों के भव्य तमाशे में मग्न होता है। क्या विचित्र संयोग हो सकता है! यूजीसी-एनईईटी परीक्षा के नाटक-मुक्त विवाद के बीच शिक्षा मंत्रालय का बयान आता है कि "सरकार परीक्षाओं की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है," और इसके प्रति प्रतिबद्धता का एक शानदार प्रदर्शन करते हुए वीरतापूर्वक नेट परीक्षा भी रद्द कर दी। भले ही "परीक्षा की अखंडता से समझौता किया गया हो।" इस साल के यूजीसी-एनईईटी परीक्षा के परिणाम चमत्कार से कम नहीं थे। अचानक, कई छात्रों ने पूर्ण अंक प्राप्त किए। जिससे सबसे ऊंची कट-ऑफ का रिकॉर्ड इतिहास में दर्ज़ हो गया। यह सब देख यही लगता है, या तो पेपर उन सबके स्वर्गीय पूर्वजों द्वारा चेक की गई हों। या आइंस्टीन की आत्मा उनके भीतर आ चुकी हो।  लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती! सभी ये मेधावी छात्र हरियाणा

हिमाचल में कांग्रेस का नया नारा : घर का रोजगार सबसे प्यारा

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सुरिन्द्र कुमार — राजनीति और पारिवारिक संबंधों के जटिल नृत्य को दर्शाते हुए हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का एक साल में 1 लाख सरकारी नौकरियों का भव्य वादा अब गंभीर रूप से पूरा होता दिख रहा है। हाल ही में, उपमुख्यमंत्री की बेटी की असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति हुई है। जिसके लिए अब नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े करना बेवकूफ़ी होगी। क्योंकि, अगर प्रदेश में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों के बच्चों को ही नौकरी नहीं मिलेगी तो प्रदेश की बेरोजगारी कैसे कम होगी? ये बात बेरोजगार युवाओं को भी समझनी होगी।  हालांकि, वे मान सकते हैं कि जो वादा राज्य के कई बेरोजगार युवाओं के लिए आशा की किरण माना जा रहा था। अब पारिवारिक मोड़ लेता दिख रहा है। लेकिन, प्रदेश के बेरोजगार समझते हैं, कि मुख्यमंत्री जी की दो बेटियाँ हैं। इसलिए एक नई परंपरा स्थापित की जा रही है। जो राज्य में रोजगार के संबधों को फिर से परिभाषित करेगी। स्वाभाविक है, लेकिन वे यह भी समझते हैं कि प्रक्रिया में समय लगता है। उन्हें इंतजार करते रहना चाहिए। इसे आत्मविश्वास बढ़ता है। और वैसे भी उनके परिवारों को कौन सी सरकार चलान