कांग्रेस मंत्रिमंडल में बढ़ रही अनुशासनहीनता - आम जनता के लटक रहे काम

मुख्यमंत्री सुक्खू के आदेशों की भी हो रही अनदेखी सचिवालय में भी महज़ खानापूर्ति



द ईरावती: प्रदेश सरकार के काबीना मंत्री कांग्रेस कार्यालय में नहीं बैठ रहे। जिससे कांग्रेस कार्यकर्ता और आम जनता अपनी समस्याएं सरकार के समक्ष नहीं उठा पा रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री सुक्खू ने हर महीने कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन शिमला में विमर्श के निर्देश दिए थे। मगर, मंत्रियों ने इन आदेशों को ताक पर रख दिया है।

पिछले दो महीनों में शुरू हुआ सिलसिला

जन-समस्याओं के समाधान के मकसद से बीते 2 मार्च को मुख्यमंत्री स्वयं कांग्रेस कार्यालय में बैठे थे। तब उन्होंने मंत्रियों को कांग्रेस कार्यालय में बैठाने का ऐलान किया था, ताकि आम जनता और पार्टी कार्यकर्ता अपनी समस्याएं मंत्रियों के समक्ष रख सकें। मगर, अप्रैल और मई महीने से मुख्यमंत्री के आदेशों को मंत्री हल्के में लेने का सिलसिला शुरू हो गया।

सचिवालय में बैठने से भी गुरेज

ज्यादातर मंत्री सचिवालय दफ्तर में नहीं बैठ रहे हैं। कई मंत्री सिर्फ कैबिनेट मीटिंग के लिए शिमला आते हैं और अगले ही दिन सचिवालय से गायब हो जाते हैं। इससे विभिन्न विभागों की फाइलें कई-कई दिन तक लंबित रहती हैं। मंत्रियों के सचिवालय में नहीं बैठने से प्रदेशभर से उनसे मिलने शिमला आने वाले लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता है।

ब्यूरोक्रेसी बेलगाम

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार के कैबिनेट मंत्रियों को भी सचिवालय में नहीं बैठने पर खूब कोसा लेकिन किसी के कान तक जून नहीं रेंग रही। अगर मुख्यमंत्री सुक्खू जब खुद प्रदेश से बाहर हों तो मंत्री सचिवालय से नदारद हो जाते हैं। मंत्रियों के गायब रहने का अफसरशाही भी सुस्त पड़ चुकी है।

चयन आयोग की बहाली पर सरकार खामोश

पेपर लीक मामले में विवादों में आए कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के बंद होने के बाद अब अभ्यर्थियों के भविष्य से सरकार खिलवाड़ करने पर उतारू हो चुकी है। क्योंकि कुछ एग्जाम और डॉक्यूमेंटेशन हो चुके हैं कुछ बाकी है। जिससे अभ्यर्थियों की नराज़गी सरकार से बड रही है। 

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