हिमाचल के पहाड़ों से भीषण आपदा के संकेत
पहाड़ों को बचा लो अगर बचा सको तो : अगर हम अतीत की त्रासदियों से नहीं सीखते हैं, तो हम भविष्य में उन्हें दोहराने के लिए अभिशप्त हैं
द ईरावती : प्राकृतिक आपदाएं दबे पांव आती हैं. सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटने से कोई फायदा नहीं होता है.
यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि हिमालय पर्वत तुलनात्मक दृष्टि से नवीन वलित पर्वत हैं और इसलिए ये नाजुक हैं. इसकी धारण क्षमता के विपरीत छेड़छाड़ यहां भूस्लखन एवं भूधसाव का कारण बनती है.
खतरे की तमाम चेतावनियों के बावजूद न तो सरकारें सचेत हैं और न ही आम लोग. दोनों की ओर से विनाशकारी विकास की गतिविधियां अनवरत जारी हैं.
अंधाधुंध कटाव, सड़कों, सुरंगों और भवनों के अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण के कारण हिमाचल में पहाड़ों पर अब खतरा बढ़ने लगा है.
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